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चार दिन गायब होकर देख लीजिए, लोग आपका नाम भूल जाएं

चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
लोग आपका नाम भूल जाएंगे।
इंसान सारी जिंदगी...
इस धोखे में रहता है कि...
वह लोगों के लिए अहम है।
लेकिन हकीकत यह होती है कि..
आपके होने ना होने से 
किसी को कोई फर्क नही पड़ता।।
जिसकी जितनी जरूरत होती है..
उसकी उतनी ही अहमियत होती है।।

"न रुकी वक़्त की गर्दिश, न ज़माना बदला,
पेड़ सूखा तो परिंदो ने ठिकाना बदला"...

तो जनाब अहमियत ज़रूरत की
होती है, किरदार की नहीं। 
इससे अंजान तो परींदे भी नहीं। 
फिर हम क्यूँ गफलत में हैं कि, 
किसी के लिए हम अहम हो सकते हैं? 

लोग भूल जाते हैं किसने किसका
 कितना साथ दिया। 
किसी के लिए जान भी दाव पर लगा दो
फिर भी चार दिन में लोग भूला देते हैं। 
ज़रूरत खत्म तो सारे रिश्ते खत्म। 

कोई मायने नहीं होते रिश्तों के, 
सब मतलब की रिश्तेदारी है। 
मेरा यह कटु अनुभव है। 
मैंने भुगता है, झेला है उस समय को। 
इंसान की क़द्र तब तक ही होती है जब तक 
सामने वाले का स्वार्थसिद्ध होता हो 
वरना बहुत जल्द
भूला देते हैं किसी की सच्चाई और अच्छाई को। 
सच ही कहा गया है "स्वारथ लागे करैहीं सब प्रीति"।

©Ankur Raaz चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
लोग आपका नाम भूल जाएंगे।
इंसान सारी जिंदगी...
इस धोखे में रहता है कि...
वह लोगों के लिए अहम है।
लेकिन हकीकत यह होती है कि..
आपके होने ना होने से 
किसी को कोई फर्क नही पड़ता।।
चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
लोग आपका नाम भूल जाएंगे।
इंसान सारी जिंदगी...
इस धोखे में रहता है कि...
वह लोगों के लिए अहम है।
लेकिन हकीकत यह होती है कि..
आपके होने ना होने से 
किसी को कोई फर्क नही पड़ता।।
जिसकी जितनी जरूरत होती है..
उसकी उतनी ही अहमियत होती है।।

"न रुकी वक़्त की गर्दिश, न ज़माना बदला,
पेड़ सूखा तो परिंदो ने ठिकाना बदला"...

तो जनाब अहमियत ज़रूरत की
होती है, किरदार की नहीं। 
इससे अंजान तो परींदे भी नहीं। 
फिर हम क्यूँ गफलत में हैं कि, 
किसी के लिए हम अहम हो सकते हैं? 

लोग भूल जाते हैं किसने किसका
 कितना साथ दिया। 
किसी के लिए जान भी दाव पर लगा दो
फिर भी चार दिन में लोग भूला देते हैं। 
ज़रूरत खत्म तो सारे रिश्ते खत्म। 

कोई मायने नहीं होते रिश्तों के, 
सब मतलब की रिश्तेदारी है। 
मेरा यह कटु अनुभव है। 
मैंने भुगता है, झेला है उस समय को। 
इंसान की क़द्र तब तक ही होती है जब तक 
सामने वाले का स्वार्थसिद्ध होता हो 
वरना बहुत जल्द
भूला देते हैं किसी की सच्चाई और अच्छाई को। 
सच ही कहा गया है "स्वारथ लागे करैहीं सब प्रीति"।

©Ankur Raaz चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
लोग आपका नाम भूल जाएंगे।
इंसान सारी जिंदगी...
इस धोखे में रहता है कि...
वह लोगों के लिए अहम है।
लेकिन हकीकत यह होती है कि..
आपके होने ना होने से 
किसी को कोई फर्क नही पड़ता।।