डिजीटल इशकजादे .......................... हो गए थे हम दिवाने उनकी कातिल नजरानों के, लगा लिए थे पंख विचरते गगनचुम्बी अरमानों के। ख्वाबों की दूनिया में मेरी पनपी सच्ची गहराई थी, मेरे जीवन में वह प्रियतम रानी बन कर आई थी। फेसबूक पर होती थी चैटिंग आंखो में डूबते हुए, मेसेंजर पर करती मैसेज बस चांदनी बिखेरते हुए। इन्स्टा पर उनकी नुमाइशें करती थी मदहोश सदा, ट्वीट उनकी भ्रमण कराती परी रानियों की देश सदा। उनकी पोस्ट की अदाओं से हरदम घायल होता रहा, उनकी भेजी तस्वीरों पर जान छिड़क मरता रहा। प्रेम की बगिया में वह रजनीगंधा सी महकती रही, सपनों में आकर हमें अपने आगोश में भरती रही। की थी उसने पक्के वायदे ब्याह हमीं से रचाएगी, शादी जोड़े में सजकर डोली चढ़ मेरे घर आएगी। मेरे मन मंदिर में रम कर थाली नित वह सजाएगी, कूकेगी शाखों पर कोकिल जीवन कानन महकाएगी। सोशल मीडिया फ्रेंडसिप से जब पर्दा हटा राज खुला, बाहर सजी थी महफ़िल अंत:खाना खंडहर निकला। मेहबूबा समझ करते रहे इश्क जिससे वर्षों बेइंतहा, चर्चित प्रिय मधुबाला दरअसल मदाड़ीलाल निकला। ©Tarakeshwar Dubey इशकजादे #TakeMeToTheMoon