अपने जीवन पर तरस खाएं, कृपया बाहर नहीं जाएं कोरोना से खुद को बचाएं, कृपया बाहर नहीं जाएं यह रैली में जाना , गंगा स्नान, मंदिर,मस्जिद, चर्च कोरोना है सर्वव्यापी, कहीं भी हो जाओगे खर्च संसाधन अपने सीमित है, जनसंख्या है अपरंपार थोड़ा रहम करो अपने पर,बेवजह बाहर न निकलो यार (कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) बेटे की शादी में बनी मेहमानों की लिस्ट देखकर वो बहुत परेशान हो गया था सभी तो अपने हैं,कोरोना कहकर किसको न बुलाएं, अपनी लाचारी पर बड़ा दुखी ,हैरान हो गया था आज अस्पताल में भर्ती है, पत्नी भी पड़ी है बीमार दो वक्त का भोजन कहां से आए, सबसे बड़ा प्रश्न तैयार मुसीबत ये ऐसी है कि संग नहीं हैं कोई नाते रिश्तेदार