हाय इस मोहब्बत ने, मुझे क्या से क्या बना दिया. बिन पंख के ही ज़रा देखो मुझे, उड़ना सिखा दिया. तेरी सच्ची मोहब्बत ने, सच्चा राह दिखा दिया. मुझे गिरने से पहले, संभलने का हुनर बता दिया. तेरी मोहब्बत को पाकर, मैंने सबकुछ भुला दिया. आज़ ख़ुद को, एक सच्चाई के सांचे में ढाल दिया. 🎀 Challenge-178 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 कोराकाग़ज़ समूह आज आपके लिए लेकर आया है व्यक्तिगत रचना वाला विषय जिसका नाम है "मोहब्बत की उड़ान"। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कृपया 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह की पिन की हुई पोस्ट के कैप्शन में नियम नम्बर 17 ज़रूर पढ़िए।