Nojoto: Largest Storytelling Platform

#डिअर ज़िन्दगी अक़्सर ! मैं तुम्हें ढूढता हूं, कंक्क

#डिअर ज़िन्दगी
अक़्सर ! मैं तुम्हें ढूढता हूं, कंक्कड़ से बने जंगल की इन विरान सी गलियों में। मैं तुम्हें ढूढता हूं फ़ुटपाथ पर बेसूद सोयीं हुईं जिंदा लासों क़े पास। यही नहीं सैकड़ो मर्तबा तों नींद में , मैं तुम्हें  ढूढ़ते हुए कब्रस्तान तक पहुँच जाता हूँ, पर क़ब्र से बाहर निकले ख़ाली हाथ तुम्हारा पता बताने से मुकर जाते है फ़िर सोचता हूँ शायद शमशान जाऊ तों तेरा पता मिल जाएं लेक़िन वहाँ भी मुझें राख क़े सिवा कुछ नहीं मिलता।क़भी कभार तों मैं तेरा पता सड़क पर चलते ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य औऱ शूद्र रूपी बुद्धजीवी दो पाए प्राणियों से पूछ लेता हूं पर उनकें चेहरें की घबड़ाहट, झुल-झुलाहट देख़ मैं डर जाता हूँ क्योंकि मैं थोड़ा डरपोक सा हूं और मुझें ऐसा लगता है कि मेरे अंदर अभी वैसी परिपक्वता नहीं आईं हैं जिससे मैं अलग़-अलग़ भावों वाला  झूठा चेहरा बना सकूँ। मैं जैसा हूं, हुबहू वैसा दिख जाता हूँ औऱ सब करे- धरे पर पानी फ़ीर जाता है। जिससे मैं न तेरे वजुद क़ो जान पता हूं और न ही तेरा पता मिल पाता है.... #kavishala
#nojoto
#shortstory
#मk
#डिअर ज़िन्दगी
अक़्सर ! मैं तुम्हें ढूढता हूं, कंक्कड़ से बने जंगल की इन विरान सी गलियों में। मैं तुम्हें ढूढता हूं फ़ुटपाथ पर बेसूद सोयीं हुईं जिंदा लासों क़े पास। यही नहीं सैकड़ो मर्तबा तों नींद में , मैं तुम्हें  ढूढ़ते हुए कब्रस्तान तक पहुँच जाता हूँ, पर क़ब्र से बाहर निकले ख़ाली हाथ तुम्हारा पता बताने से मुकर जाते है फ़िर सोचता हूँ शायद शमशान जाऊ तों तेरा पता मिल जाएं लेक़िन वहाँ भी मुझें राख क़े सिवा कुछ नहीं मिलता।क़भी कभार तों मैं तेरा पता सड़क पर चलते ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य औऱ शूद्र रूपी बुद्धजीवी दो पाए प्राणियों से पूछ लेता हूं पर उनकें चेहरें की घबड़ाहट, झुल-झुलाहट देख़ मैं डर जाता हूँ क्योंकि मैं थोड़ा डरपोक सा हूं और मुझें ऐसा लगता है कि मेरे अंदर अभी वैसी परिपक्वता नहीं आईं हैं जिससे मैं अलग़-अलग़ भावों वाला  झूठा चेहरा बना सकूँ। मैं जैसा हूं, हुबहू वैसा दिख जाता हूँ औऱ सब करे- धरे पर पानी फ़ीर जाता है। जिससे मैं न तेरे वजुद क़ो जान पता हूं और न ही तेरा पता मिल पाता है.... #kavishala
#nojoto
#shortstory
#मk
nojotouser5892009374

mukesh verma

Bronze Star
New Creator