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बीते रैना जाग कर, याद करे नित तंग। निर्मोही प


बीते रैना  जाग  कर, याद करे  नित तंग।
निर्मोही  परदेसिया, छोड़  चला  है  संग।
छोड़ चला है  संग, सखी नित ताना मारे।
रोएं अखियांँ  नित्य, तुम बिन प्राण प्यारे।
बोले 'मन' कविराय,बनी पिंजरे की मैना।
करूं मोहन अरदास,मिला दो उनसे नैना।  [Routine Collab Challenge - ३]

सभी लेखकों से अनुरोध है, कि इस क्योट पर कोलैब करने के बाद हाईलाइट भी करें, ताकि और लोग भी इसका लाभ उठा सकें🙏🙏

“अपनी ज़बान” समूह में आप सभी लेखकों का स्वागत है
हमारे द्वारा दिए गए इस प्यारे से शीर्षक और चित्र पर अपने विचार प्रकट करें |

बीते रैना  जाग  कर, याद करे  नित तंग।
निर्मोही  परदेसिया, छोड़  चला  है  संग।
छोड़ चला है  संग, सखी नित ताना मारे।
रोएं अखियांँ  नित्य, तुम बिन प्राण प्यारे।
बोले 'मन' कविराय,बनी पिंजरे की मैना।
करूं मोहन अरदास,मिला दो उनसे नैना।  [Routine Collab Challenge - ३]

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