याद आ रहा है वह दिन जब परिवार के सबसे बड़े इंसान के हाथ में परिवार की डोर थी! जो पूरे घर में न्याय करने का हक रखते थे! संस्कार और आदर्शो पर चलने का मार्ग दिखाते थे! सुबह का गीता का पाठ वह रामायण, महाभारत, रामचरितमानस और वह कल्याण जिनमें से सिर्फ आपकी आवाज आ रही है,! आपकी वह कहानियां और वह आपके सवाल और हर सवालों के जवाब थे आप ! आपकी वह मुस्कुराहट वह आंखों की नमी और वह चमकता चेहरा आंखों से जा नहीं रहा, बस एक ही आवाज आ रही मेरी लाडली बेटी! कानों में गूंज रही है वह आवाज कोई लौटा दे आज मेरे मकानों में! #miss#uhh#dadu