तीसरा दिन था आज की मिनती परेशान हो गयी थी। उसकी हालत पागलों की तरह हो गयी थी कि कहीं भूत प्रेत का साया या कोई जादू टोटका तो नही था। पिछले दो दिनों से ठीक सुबह के दस बजे , दोपहर के 2 बजे और शाम के 6 बजे उसके घर में घंटी बजती थी। पूरी कहानी अनुशीर्षक में Anuj Jain तीसरा दिन था आज की मिनती परेशान हो गयी थी। उसकी हालत पागलों की तरह हो गयी थी कि कहीं भूत प्रेत का साया या कोई जादू टोटका तो नही था। पिछले दो दिनों से ठीक सुबह के दस बजे , दोपहर के 2 बजे और शाम के 6 बजे उसके घर में घंटी बजती थी। आज अभी 2 बजे फिर वही हुआ, उसने बाहर जा कर फिर से देखा, कोई नही था, सिक्योरिटी कैमरा देखा कोई परिंदा भी नही आया घर में, फिर घंटी कैसे बाजी। मिनती ने राजेश से बहुत कहा लेकिन राजेश को मिनती की बात को हल्के में लेने की आदत थी, और हंस कर टाल दिया उसने आज भी। मिनती अब सभी प्रकार की बातें सोच चुकी थी और यकीन हो चला था उसको किसी के जादू टोने का। अब 6 बजे के इंतेज़ार में वो पूजा पे बैठ गयी पर ध्यान सारा घंटी पे था। 6 बजते बजते मिनती के दिल की धड़कनें बढ़ गयी थी। 6 बजे राजेश उठा और ड्योढ़ी के प्लग में अपना मोबाइल चार्जर लगा दिया,तन्न से घंटी बजी।