करविर निवासिनी... तू असुर नाशिनी। तू पाप नाशीनी। जगतवंद्य माते तू, वरदाइनी भवानी।.. दर तेरे मै आया। भावफूल मै लाया। दर्षणमत्रसेही तेरे, जीवदान मैने पाया।.. तू ही चंडिका। तू ही अंबिका। वधती शैतान, तू गौर तालिका।.. हे जगत के जननी। तू श्वेत हंसिनी। दूजा न मेरा कोई, हे करविर निवासिनी।... कविराज।© करविर निवासिनी....