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प्रभु की थी प्रबल इच्छा । राजा बलि की हो परीक्षा ।

प्रभु की थी प्रबल इच्छा ।
राजा बलि की हो परीक्षा ।
हरि ने लिया वामन अवतार ।
बलि  पर होने वाला था प्रहार ।
हो जाता बलि आर या पार ।
क्या परीक्षा के लिऐ था बलि तैयार ।
तीन पग भूमि मांगी ।
बलि समझ ना पाया ।
प्रभु मन ही मन मुस्कुराए ।
बलि फसता चला गया ।
प्रभु के चक्रव्यूह में धस्ता चला गया ।
एक पग में धरती ।
दूजे में स्वर्ग ।
तीजे पग में बलि का रग रग ।
पर प्रभु हुए प्रशन ।
बलि को मिला पाताल की कमान ।
स्वर्ग सा सम्मान ।

©Author shivam kumar mishra
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