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रक्त्त का एक झरना बह रहा एक धार में कपटी शकुनि ले

रक्त्त का एक झरना बह रहा एक धार में
कपटी शकुनि ले पासे उतर आया है  कंधार में
खोता जा रहा इंसा अपने जमीर को
हे वासुदेव थाम लो द्रौपदी के चीर को
हे अर्जुन गांडीव से निकाल लो  तीर को
हे पिशाच आ रहे है एक साथ झुंड में
दुर्योधन फिर से भर आया घमंड में
है बचा नही प्यार इंसान की रूह में
पीड़ा से कापता अभिमन्यु रो रहा चक्रव्यू में
उल्टी हवा का रुख मोड़ दो तुम
हे भीम फिर से दुर्योधन की झांगा तोड़ दो तुम
Dr ravi lamba

©Dr Ravi Lamba #Nojotocomedy #nojotohindi #nojotoenglish 
#poem  #Afganistan  #hindi_poetry #hindi_shayari  #HindiPoem #jauneliya
रक्त्त का एक झरना बह रहा एक धार में
कपटी शकुनि ले पासे उतर आया है  कंधार में
खोता जा रहा इंसा अपने जमीर को
हे वासुदेव थाम लो द्रौपदी के चीर को
हे अर्जुन गांडीव से निकाल लो  तीर को
हे पिशाच आ रहे है एक साथ झुंड में
दुर्योधन फिर से भर आया घमंड में
है बचा नही प्यार इंसान की रूह में
पीड़ा से कापता अभिमन्यु रो रहा चक्रव्यू में
उल्टी हवा का रुख मोड़ दो तुम
हे भीम फिर से दुर्योधन की झांगा तोड़ दो तुम
Dr ravi lamba

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