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इतना भी न भटकाओ तुम अपने मन बंजारे को लहरें कितनी

इतना भी न भटकाओ तुम
अपने मन बंजारे को
लहरें कितनी भी तेज हों
मिलने को तरसती ही हैं
समंदर के किनारे को।
इन नजरों का क्या है
ये तो देखेंगी ही न 
हर सुंदर नजारे को,
लेकिन तुम्हें समझना होगा
रब से मिले इशारे को।

©निम्मी #seaside #मनबंजारा
इतना भी न भटकाओ तुम
अपने मन बंजारे को
लहरें कितनी भी तेज हों
मिलने को तरसती ही हैं
समंदर के किनारे को।
इन नजरों का क्या है
ये तो देखेंगी ही न 
हर सुंदर नजारे को,
लेकिन तुम्हें समझना होगा
रब से मिले इशारे को।

©निम्मी #seaside #मनबंजारा