क्या करूँ वो शब्द सूझते ही नही जिनमें विरह न हो, पीर न हो, नयनों पर असुअन की सूखी लकीर न हो। वो शब्द जिसमें जीर्ण स्मृतियों के अवशेष न हो। और वो निर्मोही व्यक्ति विशेष न हो। बताओ न क्या करूँ वो शब्द बूझते ही नही जिसमें हास हो परिहास हो, अल्हड़ सी मैं हूँ और वो मेरे पास हो। ©Rooh_Lost_Soul #nojoto #RoohLostSoul #sukun_e_rooh