ये इश्क़ ले आया कहाँ,रंगीं बहारें आ गईं तुम आए तो सब खुशनुमा सी काएनातें आ गईं काली सी रातों में उजड़े से बाग़ में टूटे थे गुल तुम आए तो रंगीन फूलों की कतारें आ गईं थे खुश्क़ सारे नज़ारे और रूठी थी फ़िज़ा ख़ुश्बू से तुम्हारी ग़ज़ब खुशरंग धारें आ गईं रुख़सत हुआ हर ग़म का पहरा दर-ओ-दरवाज़े से अब आलम में तुम संग मुस्काने की रातें आ गईं रो रो के तन्हा वक़्त गुज़रा तुमसे क्या 'नेहा' कहे हमदम तुम्हारी दीद से ताज़ी सी साँसें आ गईं ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1076 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।