ज़िंदगी भर धूप में जल चुके है पाँव उनको छाँव के साये क्या भाएँ। जो चले है काँटों वाले रास्ते में उनको अब ये फूलों की राहें क्या भाएँ। ज़िंदगी भर धूप में जल चुके है पाँव उनको छाँव के साये क्या भाएँ। जो चले है काँटों वाले रास्ते में उनको अब ये फूलों की राहें क्या भाएँ। #धूप #छाँव #साये #भाएँ #फूलों #काँटों #वाले #रास्ते