Alone वाह रे मानव, तू कितना क्रूर है । कर खिलवाड़ प्रकृति से, फिर भी तुझे गूरुर है । कृत्य तुम्हारे मचाये शोर देख तू महाविनाश चहुंओर । पूर्ण मानवजाति आज त्रस्त है, प्रकृति के आगे सभी पस्त है । तू देख तुम्हारे कृत्य कितना मुस्तैद है, इसलिये तो तू आज स्वयं घर में कैद है । -राजेंद्र कुमार रत्नेश रामविशनपुर,राघोपुर सुपौल (बिहार)8521111 मानव ही मानवता का विनाशक है ।