मौन मासूम रुदन... 👇 अनुशीर्षक पढ़ें एक लाचारी एक बेबसी है उस बच्चे की रुलाई में और है कुछ टूटे सपनों का शोर उस बेबस रुदन में, आंखों में पानी नहीं सपनों का भी बहना है उस रुदन में कुछ ठीक ना हो पाने की विवशता है उस मौन रुदन में, क्या दोष था मेरा आखिर की मां पापा उलझे आपस में, कुछ अनगिनत सवाल है ऐसे ही बच्चे के मौन रुदन में,