ख्वाब हमेशा उजालों के ही मत देखा करो, अगर अंधेरों से गुजरने की ताक़त नहीं तुममें। क्या सोच कर ज़िंदगी को आगोश में लिया था? अगर अश्रु से टूटने की भी आदत नहीं तुममें। सराहनीय नहीं होती ज़िंदगी यहाँ हर पल, है जीना और हिम्मत भी आगत नहीं तुममें! खुशियों की डगर पर तो आफ़त मिलेंगी ही, ढूंढो वो हिस्सा जो अभी आहत नहीं तुममें! अगर थोड़ी भी हिम्मत बाकी है तो क्यों हो ठहरे हुए बस, क्या लानत नहीं तुममें? यूं रूठे और मायूस से कब तक रहोगे? क्यों नाखुश हो, क्या अब इबादत नहीं तुममें? No caption today 😶 ख्वाब हमेशा उजालों के ही मत देखा करो, अगर अंधेरों से गुजरने की ताक़त नहीं तुममें। क्या सोच कर ज़िंदगी को आगोश में लिया था? अगर अश्रु से टूटने की भी आदत नहीं तुममें।