मेरे घर का अभिशाप** मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने में वो इतना झुक गया है सारी ज़मीन बेच डाली और खुद बिक गया है मैं उसकी नज़रो में खुद को बेहतर न बना पाया शायद उसे मेरा कोई गुनाह दिख गया है वो घर में सब को कुशूरवार समझता है शायद उसे अपना आईना दिख गया है