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मेरे घर का अभिशाप** मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने मे

मेरे घर का अभिशाप** मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने में वो इतना झुक गया है
सारी ज़मीन बेच डाली और खुद बिक गया है
मैं उसकी नज़रो में खुद को बेहतर न बना पाया
शायद उसे मेरा कोई गुनाह दिख गया है

वो घर में सब को कुशूरवार समझता है
शायद उसे अपना आईना दिख गया है
मेरे घर का अभिशाप** मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने में वो इतना झुक गया है
सारी ज़मीन बेच डाली और खुद बिक गया है
मैं उसकी नज़रो में खुद को बेहतर न बना पाया
शायद उसे मेरा कोई गुनाह दिख गया है

वो घर में सब को कुशूरवार समझता है
शायद उसे अपना आईना दिख गया है
ajaysingh6782

Ajay Singh

New Creator

मेरी ख्वाहिशों को पूरा करने में वो इतना झुक गया है सारी ज़मीन बेच डाली और खुद बिक गया है मैं उसकी नज़रो में खुद को बेहतर न बना पाया शायद उसे मेरा कोई गुनाह दिख गया है वो घर में सब को कुशूरवार समझता है शायद उसे अपना आईना दिख गया है #कविता #OpenPoetry