खुश था वो, खुशियों को मुट्ठी में लिए हँसते गाते, ज़िन्दगी के सफर में चला जा रहा था। ठोकर लगते ही गिर पड़ा और खुल गई मुट्ठी, खाली देख उसे, वो कुछ समझ नही पा रहा था। जिन खुशियों को लेकर वो इतना इतरा रहा था, सब झूठ था, फरेब था, समय सच से उसे रूबरू करा रहा था। #खुशियाँ #फरेब #समय