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गुमान बडा था उसको कभी मांझी से अकड़ गया रख जिद की छ

गुमान बडा था उसको कभी
मांझी से अकड़ गया
रख जिद की छेनी जो मारी
कंकड कंकड बिखर गया।
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दशरथ मांझी nastik
गुमान बडा था उसको कभी
मांझी से अकड़ गया
रख जिद की छेनी जो मारी
कंकड कंकड बिखर गया।
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दशरथ मांझी nastik

nastik