a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ,,,जितने प्रकार के भय जीवन में आपको प्रभावित करते हैं उतनी ही तरह की आकांक्षाएं जीवन में बलवती होती हैं। जैसे जैसे आपके अनुभव बढ़ते हैं,आपके भय कम होते जाते हैं,,साथ ही साथ आपकी कृत्रिम आकांक्षाएं भी कम होती जाती है।परिणामतः आप शून्य की और अग्रसर होते जाते हैं। जब बच्चा छोटा होता है तो उसको हर चीज भय पैदा करने वाली लगती है परंतु जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती है और अनुभवशीलता बढ़ती है तो इसके भय कम होते जाते है।कुछ ऐसे भी उदाहरण होते हैं कि कितनी ही उम्र हो जाए फिर भी अनुभवहीनता के चलते कोई व्यवहार में परिवर्तन नहीं आता ।मन लिप्सा में उलझ पुलझ रहता है।मृत्यु भी ऐसे व्यक्ति को विमुक्त नहीं कर पाती। मुक्ति शून्य जैसी परिघटना है जो लेश मात्र भी + या -होने पर घटित नहीं हो सकती। सबका शुभ हो,,💐💐 ©परिंदा #SunSet Hinduism bhakti Extraterrestrial life