Nojoto: Largest Storytelling Platform

बनते-बनते बिगड़ गयी है बात क्यों, समझ न पाते अपने

बनते-बनते बिगड़ गयी है बात क्यों,
समझ न पाते अपने ही ज़ज़्बात क्यों।
सुबह-दोपहर-शाम की है बात क्या,
तन्हा-तन्हा हम से अब रात क्यों।

©सतीश तिवारी 'सरस' #nojoto_English