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क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल ह

क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है।
तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है।

ख़्वाहिशों का दौर छोड़कर, बस तुझको सँवारना चाहा।
जो दिल ने चाहा वो न मिला, बस यही तो एक मलाल है।

कतरा-कतरा तेरी ख़ातिर, पल-पल हम पिघलते रहें।
अश्कों से भी जो ना बदली, वो तक़दीर भी कमाल है।

तुझको सँवारने की ख़ातिर, हम बनते और बिगड़ते रहे।
जाने क्या कमी रह गई जो, आज भी तू तंग हाल है।

क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है।
तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है।
तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है।

ख़्वाहिशों का दौर छोड़कर, बस तुझको सँवारना चाहा।
जो दिल ने चाहा वो न मिला, बस यही तो एक मलाल है।

कतरा-कतरा तेरी ख़ातिर, पल-पल हम पिघलते रहें।
अश्कों से भी जो ना बदली, वो तक़दीर भी कमाल है।

तुझको सँवारने की ख़ातिर, हम बनते और बिगड़ते रहे।
जाने क्या कमी रह गई जो, आज भी तू तंग हाल है।

क्यूँ ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं, बस यही आख़िरी सवाल है।
तेरी ख़ातिर उम्र भर भटके, फिर भी आज तू इस हाल है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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