थक सी गई हूँ ये बदलती दुनियाँ की रीत से अब मन भर सा गया मेरा देख ये लोगों की चाल चलन अब तो बस ख़ामोश रहना चाहती हूँ जैसे कोई गुमनाम सी सड़क मुझे अब बहलाना नहीं और हंसाने की कोशिश भी मत करना... बस मेरे यही करने से आज टूटी हूँ मैं जैसे.. उम्मीद से बनी कोई शीश महल 😢😢😢 नाराज़ हूं खुद से क्यूं मैं ऐसी हूँ