उन गलियों की जहां बचपन मेरा बीता था उन खेलों की जो खेले थे ना हारा कोई न जीता था...।। वह गली जहां न दोष, द्वेष और ईष्र्या धधकती थी वह गली जहां नफ़रत न थी बस प्रेम की धार बरसती थी.. वह गली जहां शामों में हम भटकते थे वह गली जहां सूरज के किरण अपनी आभा छिटकते थे.. अब न गली रही न घर हैं अब न वो पुराने दरवाजे हैं.. जो बचा है वो भी साफ़ नहीं बस कुछ धुंधली सी यादें हैं...।। बहुत सी तस्वीरें ऐसी होती हैं जो अपने अंदर यादों का संसार संजोए रखती हैं। #धुंधलीयाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi