उतर रहा है लिबाज़ सबका फ़िर रंग बदल रहे है पतझड़ मानो जीवन मेरा खिलते पत्ते झड़ रहे है एक किरण उम्मीदों कि निकली थी जमाने के बदलते रंग देख वो भी ढल रहे है #भरत लिबाज़👹