सूखे पत्ते सी हो गई है ज़िन्दगी मेरी । मौका मिलने पर हर कोई जलाएगा । वक़्त पर सम्भाल लेता हूँ खुद को। क्या पता कब कौनसा हिस्सा जल जाएगा । अमित पाण्डेय, डूंगरपुर #newthoughts