कुछ डुबी हसरतों को कहीं से हवा मिलती है जब जब गुज़रे वक़्त की बात चलती है आंधियां बन उड़ जाते है ख्वाबों के परिंदे जब तू बालों को संवारते हुए घर से निकलती है ये वक़्त की सुई भी इंतज़ार में रहती है अक्सर लगता है ये भी तेरी मुस्कराहट से चलती है धूप मैं माथे की लकीरें बढ़ ना जाएं कहीं यूँ ही नहीं मर्जी से ये शाम ढलती है Love is like anything..just imagine and fall in