हालातों से लड़ते लड़ते ज़िन्दगी काफी गुमनाम हो गये है, तक्सीन में गुजरते थे पल अब मजमे वीरान हो गये है, एक वक्त था महफ़िल हमारी थी हम उसकी जान थे, बेपरवाह हवाओं सी हस्ती थी हमारी हम नूर की पहचान थे, अब वक़्त कुछ यूँ बदला है अपनी करवटें कि- जो कल तक वाकिफ थे हमारी ख़ामोशी की गूंज से, आज वही मरासिम हमारे अल्फ़ाज़ों से अंजान है! #stories #poem #feelings