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आज मुझे फिर ओ तेरी याद सता रही है जब घड़ी ओ बचपन का

आज मुझे फिर ओ तेरी याद सता रही है
जब घड़ी ओ बचपन का था।
फिर लौट जांउ उस दौर
जब उमर लड़कपन का था
कहते खोया हुआ चीज को हम
दोबारा हासिल कर सकते हैं,
पर उमर ओ बचपन का,
दिन ओ लड़कपन का,
कभी नहीं पा सकते।
ना ही पा सकते ओ पल
जिसमें चंद कौड़ी
के सिक्के हमे, खुशियां बेहिसाब दे जाती थीं। #कविता #प्यार
आज मुझे फिर ओ तेरी याद सता रही है
जब घड़ी ओ बचपन का था।
फिर लौट जांउ उस दौर
जब उमर लड़कपन का था
कहते खोया हुआ चीज को हम
दोबारा हासिल कर सकते हैं,
पर उमर ओ बचपन का,
दिन ओ लड़कपन का,
कभी नहीं पा सकते।
ना ही पा सकते ओ पल
जिसमें चंद कौड़ी
के सिक्के हमे, खुशियां बेहिसाब दे जाती थीं। #कविता #प्यार