आज मुझे फिर ओ तेरी याद सता रही है जब घड़ी ओ बचपन का था। फिर लौट जांउ उस दौर जब उमर लड़कपन का था कहते खोया हुआ चीज को हम दोबारा हासिल कर सकते हैं, पर उमर ओ बचपन का, दिन ओ लड़कपन का, कभी नहीं पा सकते। ना ही पा सकते ओ पल जिसमें चंद कौड़ी के सिक्के हमे, खुशियां बेहिसाब दे जाती थीं। #कविता #प्यार