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उन्हें चाक दिल दिखा भी नहीं सकता मैं खामख्वा

उन्हें  चाक  दिल  दिखा भी  नहीं  सकता
मैं  खामख्वाह  मुस्कुरा  भी  नहीं  सकता
बाग  में फूलों  की  इस  क़दर पहरेदारी है
गुंचे तोड़कर कदमों में ला भी नहीं सकता। सुप्रभात।
सुबह के उजाले में,
मेरी आँखें देखती हैं 
ज़िन्दगी का मंज़र...
#jayakikalamse
#मंज़र #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
उन्हें  चाक  दिल  दिखा भी  नहीं  सकता
मैं  खामख्वाह  मुस्कुरा  भी  नहीं  सकता
बाग  में फूलों  की  इस  क़दर पहरेदारी है
गुंचे तोड़कर कदमों में ला भी नहीं सकता। सुप्रभात।
सुबह के उजाले में,
मेरी आँखें देखती हैं 
ज़िन्दगी का मंज़र...
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