देखकर मुझे, तुम जब मुस्कुराते हो, झुकाकर पलकें 'हौले' से शर्माते हो, होता है दिल तेरी अदाओ पर फ़िदा, जब - जब तुम मेरे 'रूबरू' आते हो। इश्क़ तुम्हें भी है, ये मालूम मुझे भी है, फिर ये बात 'कस्दन' क्यों छुपाते हो। इश्क़ है तो कर दो 'इजहार-ए-बयाँ', दिल की बात दिल में क्यों दबाते हो। गोविन्द पन्द्राम #Love कस्दन = जानबूझकर