है बिखरे बिखरे हम भी जैसे लटें ये तेरे सुर्ख़ गालों पे साये किये, आँखों में तेरे हमने देखी है क़िस्मत संवरतें सपनो से सजती तेरे मेरी जिंदगी जैसे ! DQ : 345 बिन सृंगार हो तुम फिर भी कितनी ख़ुबसूरत मेरे मन के मंदिर में बसी हो मूरत जैसे ! है बिखरे बिखरे हम भी जैसे लटें ये तेरे सुर्ख़ गालों पे साये किये, आँखों में तेरे हमने देखी है क़िस्मत