तेरी करामाती अंखियां,हैं दो सखियां कभी प्यार करें,कभी वार करें पागल कर दिया हमें बिन करे ही बतियां तेरी करामाती अंखियां,हैं दो सखियां हम मिल बैठे कब पता ही न चला मुझको दोनों ने एक स छला अब जागूं इनकी याद में मैं सारी सारी रतियां तेरी करामाती अंखियां,हैं दो सखियां हूं मैं इनके चाहने वालों में कभी दिन में कभी उजालों में मार डाला आकर मेरे खयालों में चली आयीं मेरे मन में ये बिना ही पहिया तेरी करामाती अंखियां,हैं दो सखियां शायर आयुष कुमार गौतम तेरी करामाती अंखियां