स्नेहअमृत छलके हृदय से ममतामयी दो कमल नयन... तेजस्व मुखमंडल,मन मोहे, अतुलनीय माँ तेरा वर्णन... पीताम्बर माँ देह सोहे, भाव-विभोर हूँ करके दर्शन... जग जननी तुम स्कंदमाता, गोद विराजें स्कंद-नंदन... अभय ओज वात्सल्य की देवी, शत शत बार माँ तुम्हें नमन... जय हो हें स्कंदमाता भवानी, कर कृपा धन्य हो मेरा जीवन... ©Chanchal's poetry #skandamata