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मैं बन ना चाहता था कुछ ओर, आज मैं कुछ ओर बन गया...

मैं बन ना चाहता था कुछ ओर, आज मैं कुछ ओर बन गया.....
सुन..... जिंदगी तेरी छाँव में,  मैं तो बस यूँ ही पल गया.... 

मेरी मासूमियत की कब्र बनाकर मुझसे छल किया गया
कफ़न पहना दिया उन वादो को, जो पल - पल किया गया  

खुशियाँ भी उस से मांगी, जो सितारा खुद ही टूट गया...
वक़्त के साथ हर रिश्ता, हर मोड पर हमसे छूट गया.. 

चाँद चमकता है, मगर फ़िर भी दुनिया में अकेला रह गया,
फ़िर हमसा मुसाफ़िर अकेला रह गया तो क्या ही रह गया

छोड़ चुका अब दुनिया दारी, मेरा दिल छालो से भर गया... 
ये दिल पत्थर का हो गया राज, अब सब रिश्तो से मन भर गया 

नुमाइश करते भी तो करते किस खुशी कि जश्न-ए-महफ़िल में 
हर महफ़िल से दर्द-ए-जाम से नवाजा ओर मैं परवाना जल गया

ज़िन्दगी तेरी छाँव में मैं तो बस यूँ ही पल गया...
मैं बन ना चाहता था कुछ ओर, मैं कुछ ओर बन गया....

September 25, 2022

©Astha Raj Dhiren
  #dear_zindgi