a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हमारी अंखों के सामने वो हमें अंधा कर रहे हैं वो लोग चंदे के नाम पर अपना धंधा कर रहे है अब और कितना गिरोगे गिरने की हद होती है आप हद से ज़्यादा ख़ुद को ही गंदा कर रहे है अच्छे दिन आने वाले थे लो वो दिन आ ही गए दिनो के मुन्तज़िर ऐसे दिन की निंदा कर रहे है अपने आप ही कराते है वो अपना त'आरूफ़ गली गली जाकर बरहना नाच नंगा कर रहे है मज़हब के नाम पर बस मज़हब का दिख़ावा है अदाक़ार अदाक़ारी अदा बहुत उम्दा कर रहे है जमील ©jameel Khan # अंधा #