खुद को बेरंग करने की ख्वाहिश में रंग बैठा मिटा के कई रंगों को एक रंग कर बैठा जैसे मन पर चढ़ी हो परत दर परत पहचानें उन परतों को हटाकर एक कर बैठा तन के रंग का नहीं कोई मोल मन के सामने जब जाना ये तो, मन की श्यामल सी काया को धवल कर बैठा। ~©शुभम् गुप्ता खुद को बेरंग करने की ख्वाहिश में रंग बैठा मिटा के कई रंगों को एक रंग कर बैठा जैसे मन पर चढ़ी हो परत दर परत पहचानें उन परतों को हटाकर एक कर बैठा तन के रंग का नहीं कोई मोल मन के सामने जब जाना ये तो, मन की श्यामल सी काया को धवल कर बैठा। ~©शुभम् गुप्ता