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मजबूर हूँ, श्रम पर निर्भर हूँ। क्या करूँ,बेसहारा ह

मजबूर हूँ,
श्रम पर निर्भर हूँ।
क्या करूँ,बेसहारा हूँ,
मगर गंदी नाली का कीड़ा न समझो।
भाई साहब! मैं मजदूर हूँ…॥

भूखा रहकर सोया करता हूँ,
पर किसी का निवाला नहीं छीनता हूँ।
sanjeebjha9409

Sanjeeb Jha

New Creator

मजबूर हूँ, श्रम पर निर्भर हूँ। क्या करूँ,बेसहारा हूँ, मगर गंदी नाली का कीड़ा न समझो। भाई साहब! मैं मजदूर हूँ…॥ भूखा रहकर सोया करता हूँ, पर किसी का निवाला नहीं छीनता हूँ। #story

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