कविता मां बाप के लिए आफत हो रही है मां-बाप काम करते हैं औलाद सो रही हैं वो बच्चा क्या सुधरेगा 9:00 बजे तक सो रहा है बिस्तर से उठा नहीं चाय को रो रहा है कर्म हीन से कुल की सब मर्यादा बिगड़ जाती है ज्यादा लाड प्यार से भी औलाद बिगड़ जाती है औलाद को सुधारने की मशीन ₹11000 में आएगी औलाद को सुधार का मशीन बेचोगे ओएलएक्स पर बिक जाएगी ज्यादा दिन कुंवारा रहना खोटा नहीं है शादी के बाद उलझो का टोटा नहीं है पुराने शादीशुदा से पूछ लो कितनी आफत हो रही है कहने में नहीं आ रहा आत्माएं रो रही हैं जमाना खराब महंगाई बहुत हो रही है आजकल दो बीवियों को रखने वालों की मौतें हो रही हैं दो बीवियां रखने वालों की तो मौत हो रही है