"किरन,उम्मीदों की" किसी शायर ने लिखा जिसे बड़ी फुरसत से तुम वो गज़ल हो, उम्मीदों के उगते सूरज की तुम पहली किरन हो रूप, गुण,वाणी की तुम हो धनी तुम प्यार,ममता,और करुणा की मूरत बनी, दोस्त तो पहले भी मिले हैं मुझको कई पर दोस्ती को जो निभाना सिखा जाए, तुम वो हुनर हो, जो अपने नाम जैसी ही होकर सार्थक किरन उम्मीद की बनकर जो आयी है पथरीले मार्ग तक, धर्मसिंगवा में आई है जो अध्यापिका बनकर ज्ञान की मशाल उन नन्हें हाथों को सौंपने आई है नन्हे उन चिरागों की वो रोशनी बनकर, लहरा दे जो परचम ज्ञान का तुम वो सारथी हो, उम्मीदों के उगते सूरज की तुम पहली किरण हो।। ।।।।।।। Shilpi Vikram #किरण,उम्मीदों की गीता ठाकुर सुरेश'अनजान'