बदलतें मौसमों की तरह बदल जाना नही आता हाथ जो थाम लू फ़िर छोड़ के जाना नही आता मुमक़िन हैं रवैया सख्त हैं मेरा जो मैं पूरा न कर सकूं वो वायदा देना नही आता मैं अपनी ज़ात में हारा हुआ मुसाफ़िर हु बेबाक़ लाख खरोचे हो हिस्से में मेरे मरहमो की ख़ातिर किसी के पाव में झुकना या गिर जाना नहीं आता आती हैं जिंदादिली मुस्कराहटें,आज़िज़ी संगदिलों की तरह नए नए पैंतरे आज़माना नही आता जो दुनिया मैने देखी हैं वो कौड़ियो पे बिक़ती हैं एक मै हु जिसे अपना ईमान सर ए बाज़ार यू बिछाना नहीं आता चलो अब क्या तिज़ारत रस्म क्या कीमत भी क्या माना मैंने मुझको ये रिवायत ए बाज़ार नहीं आता.....!!! ©ashita pandey बेबाक़ #good_night_quotes