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विसर्जन हमारे जीवन में विसर्जन का बड़ा महत्व है जि

विसर्जन हमारे जीवन में विसर्जन का बड़ा महत्व है जिसके भीतर विसर्जन का भाव जागृत हो गया समझो वह व्यक्ति संत हो गया विसर्जन हमें मोह से मुक्त का मार्ग दिखाता है हमारी आसक्ति कोशिश करता है हमारी मित्रता पर प्रहार करता है जब हमारे भीतर में पैदा होने लगता है तो हम एक निश्चित दायरे के भीतर समय से लगते हैं हमारी योग्यताओं पर अंकुश लगा जाता है हमारी क्षमताएं गठित होने लगती हैं परंतु विसर्जन का भाव इन सब हम से बाहर खींच ले आता है विसर्जित भाव ही हमारे मन की असली खुराक है यहां खुराक हमारे आंतरिक रुप से परिपक्व बनती है स्वयं समाज एवं राष्ट्रीय का अनियन संचय भाव से कदापि नहीं हो सकता इसके लिए हमें विसर्जन के मर्म को बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक छोटी उपलब्धियों को मोह को त्यागना होगा अपने मुंह पाठ से निकालना होगा हमारे ऋषि मुनि विरक्त एवं विसर्जित भाव से वर्ष तक कठिन तपस्या करते थे उनके कारण ही उन्हें अनेकों सिद्धियां प्राप्त होती थी उनके उपयोग वह लोग कल्याण के लिए करते थे विसर्जन का भाव लोग कल्याण का कारक भी है इससे विसर्जन यही पीएस वर्जिनिए सुखाया का अनुकरणीय भाव जन्म लेता है हम देव पूजन करते हैं आलस से एवं उत्साह से अनेक अहान करते हैं उन्हें स्थापित करते हैं अनेक उनके लिए विसर्जन करना पड़ता है यही वस्तु दर्शाती है कि पूजा एवं विद्यानी व्यक्ति अथवा वस्तु भी तथ्य है याद करोगे तभी असली बाहर अहान भी होगा समय की व्यस्तता इसी विसर्जन से पैदा होती है विसर्जन देव विसर्जन हमें सुख और दुख उत्साह और आकाश आनंद एवं पीड़ा जैसी भावना का दर्शन कराता है यह ही प्रेरणा देता है कि सुख के आनंद में दुख का समरण कर विचलित ना हो अथवा दुकाने पर दे देना को इन दोनों का समान रूप से स्वागत करें और समय पर परिस्थितियों का सामना

©Ek villain #visarjan 

#safarnama
विसर्जन हमारे जीवन में विसर्जन का बड़ा महत्व है जिसके भीतर विसर्जन का भाव जागृत हो गया समझो वह व्यक्ति संत हो गया विसर्जन हमें मोह से मुक्त का मार्ग दिखाता है हमारी आसक्ति कोशिश करता है हमारी मित्रता पर प्रहार करता है जब हमारे भीतर में पैदा होने लगता है तो हम एक निश्चित दायरे के भीतर समय से लगते हैं हमारी योग्यताओं पर अंकुश लगा जाता है हमारी क्षमताएं गठित होने लगती हैं परंतु विसर्जन का भाव इन सब हम से बाहर खींच ले आता है विसर्जित भाव ही हमारे मन की असली खुराक है यहां खुराक हमारे आंतरिक रुप से परिपक्व बनती है स्वयं समाज एवं राष्ट्रीय का अनियन संचय भाव से कदापि नहीं हो सकता इसके लिए हमें विसर्जन के मर्म को बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक छोटी उपलब्धियों को मोह को त्यागना होगा अपने मुंह पाठ से निकालना होगा हमारे ऋषि मुनि विरक्त एवं विसर्जित भाव से वर्ष तक कठिन तपस्या करते थे उनके कारण ही उन्हें अनेकों सिद्धियां प्राप्त होती थी उनके उपयोग वह लोग कल्याण के लिए करते थे विसर्जन का भाव लोग कल्याण का कारक भी है इससे विसर्जन यही पीएस वर्जिनिए सुखाया का अनुकरणीय भाव जन्म लेता है हम देव पूजन करते हैं आलस से एवं उत्साह से अनेक अहान करते हैं उन्हें स्थापित करते हैं अनेक उनके लिए विसर्जन करना पड़ता है यही वस्तु दर्शाती है कि पूजा एवं विद्यानी व्यक्ति अथवा वस्तु भी तथ्य है याद करोगे तभी असली बाहर अहान भी होगा समय की व्यस्तता इसी विसर्जन से पैदा होती है विसर्जन देव विसर्जन हमें सुख और दुख उत्साह और आकाश आनंद एवं पीड़ा जैसी भावना का दर्शन कराता है यह ही प्रेरणा देता है कि सुख के आनंद में दुख का समरण कर विचलित ना हो अथवा दुकाने पर दे देना को इन दोनों का समान रूप से स्वागत करें और समय पर परिस्थितियों का सामना

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