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सोचता हूँ, जद्दोजेहद से की,,,,, थे उसके भी बाल,सर,

सोचता हूँ, जद्दोजेहद से की,,,,,
थे उसके भी बाल,सर,मुख,होंठ, गाल,नाक, कान, हाथ किस काम के,
और फिर मेरे भी थे दोनों हाथ किस काम के,,,,
एक हाथ से दिल थामा, दूसरे से दामन थाम के।
                                                  -प्रवीण दामन
सोचता हूँ, जद्दोजेहद से की,,,,,
थे उसके भी बाल,सर,मुख,होंठ, गाल,नाक, कान, हाथ किस काम के,
और फिर मेरे भी थे दोनों हाथ किस काम के,,,,
एक हाथ से दिल थामा, दूसरे से दामन थाम के।
                                                  -प्रवीण दामन