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पल्लव की डायरी हर राहो में खतरे बढ़ रहे कैसे अपने क

पल्लव की डायरी
हर राहो में खतरे बढ़ रहे
कैसे अपने को बचाऊ
हर मौसम अब रुलाता है
चमक चेहरे पर कैसे लाऊ
धमकी सियासत की, खतरे की
कब तक गले लगाऊ
लव जिहाज की तान छेड़े
हिन्दू और सनातन हर चुनावो में खतरे में रहता है
वहशीपन पर शासन सत्ता उतर आये
बेहतरी के लिये हम सब कहा जाये
फूक कर अपना घर महँगाई से
गुहार लगाने कहा जाऊ
दिवालियापन मूल्यों का हो जाये
संतोष और सांत्वना किससे पाऊ
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Chalachal बेहतरी के लिये हम सब कहाँ जाये
#nojotohindi

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