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मौत के सामनॆ ज़िंदगी रश्क करती है... और वो नस्ल अल

मौत के सामनॆ ज़िंदगी रश्क करती है...
और वो नस्ल अलग है जो इश्क़ करती है..।

लंबी ख़ामोशी ज़बान की नाकामी है...
दर्द को आँखों मॆं ज़लील अश्क़ करती है..।

जिनकी आँखॆं आसमान तलक नहीं जाती...
ऎसी सोच ही ज़मीन पर मुल्क करती है..।




                                    - ख़ब्तुल
                               संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 ज़लील
मौत के सामनॆ ज़िंदगी रश्क करती है...
और वो नस्ल अलग है जो इश्क़ करती है..।

लंबी ख़ामोशी ज़बान की नाकामी है...
दर्द को आँखों मॆं ज़लील अश्क़ करती है..।

जिनकी आँखॆं आसमान तलक नहीं जाती...
ऎसी सोच ही ज़मीन पर मुल्क करती है..।




                                    - ख़ब्तुल
                               संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 ज़लील