चारागर! ऐ दिल-ए-बेताब__ कहाँ आते हैं। मुझको ख़ूश रहने के आदाब कहाँ आते हैं। मैं तो यकमुश्त उसे सौंप दूँ सब कुछ लेकिन, एक मुट्ठी में मेरे ख़्वाब_____कहाँ आते हैं। ©@Abdul Hakim #onlyforyou__S_