यमुना तीरे गूंज उठी हैं , गिरिधर गोपाल की बंसी, मयूर पंख से सुशोभित , राजमुकुट से अलंकृत.. मुख पर माखन चोरी का साक्ष्य लिए, तरनी किनारे रम गए हैं श्याम.. यमुना किनारे गौ की झुंड लगी हैं, करुण राग ध्वनि से धरती सहित देवलोक में प्रमोद जगी हैं.. वृंदावन की लतागृह में प्रभु के स्वर्णिम कदमों की छाप पड़ी हैं, घर - घर अंगने गिरिधर की रास चली हैं... सावर रंग से विभूषित, नन्द - यशोदा के दुलारे, राधा के मनमोहक जग के पालनहार ,मोरे तो गिरिधर श्याम, यमुना किनारे रम गए हैं मोरे गोपाल... ^श्रेया मिश्रा_ Shreya mishra #मोरे गिरिधर गोपाल