हां मैं एक शिक्षक पर . यें मत सोचो की मैं पढ़ानें बैठा हूँ । मैं कहां पढ़ाने बैठा हूँ ?मै तों डाक बनाने बैठा हूँ। कितनें st कितने obs कितनेGen दाखिल हुए . कितनों के बनें आधार कितने कें खाते हुए खुलें । बस इन्हीं कागजों में उल्झा निज साख बचाने बैठा हूँ मैं कहां पढ़ाने बैठा हूँ ? कभी smc कभी PTA की मीटिंग बुलाया करता हूँ ' 100 - 100 बातों की फाइलें मेरी मैं उन्हें बनाया करता हूँ । अभियानों में मैं डयूटी निभाने बैठा हूँ मैं कहां पढ़ाने बैठा हूँ ? ©Khilendra Kumar शिक्षक की मनोव्यथा